रोहित वेमुला के बलिदान
को क्रान्तिकारी
सलाम
मैं रोहित बोल रहा हूँ।
roy.1472@gmail.com
हा, मैं रोहित बोल रहा
हूँ।
आपने ठीक पहचाना, क्यों के में आज कल लोगो के लिए
चर्चा का विषय
जो बन गया हूँ;
हर गावँ मे, हर गली मे, हर शहर मे।
में एक जन- सैलाब, जन-आन्दोलन, आक्रोश,
और
एक प्रतिरोध बन कर उभर आया हूँ।
जी.. मैं रोहित वेमुला ही बोल रहा हूँ।
प्राकृतिक नियम से तो मेरा
शरीर पंचतत्वो मे विलिन हुआ
हें ।
लेकिन, मेरी मृत्यु होने से पहले ही इस व्यवस्था ने
मेरे
जीने
के अधिकार को ही मार डाला ।
इसलिए दोस्तो मेरा मरना जरूरी हो गया था ।
लेकिन हा..मेरा यह बलिदान तो आपको जागृत करके
अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए हें ।
इस बलिदान ने आपके मन मे,
हक-अधिकार की जो चिंगारी जलायी हें,
उस चिंगारी को ज्वालामुखी बनाकर
सामाजिक भेदभाव को भस्म करना होगा ।
इसलिए आजही आपको
संकल्प की शपथ लेनी होगी।
हा, मैं रोहित बोल रहा
हूँ।
हम लोग और कितने दिन तक सोते रहेंगे?
और कितने दिन तक पिसते रहेंगे इस ब्राम्हण्यवाद की चक्की में।
आप लोगो को निंद से जगाने के लिए
मैंने
मेरे शरीर को अंतिम निंद में सुला दिया।
यह बलिदान केवल रोहित वेमुला का बलिदान नही है।
लाखो –करोड़ो वंचित और शोषित के बिरोध में,
गुलामी के खिलाफ प्रतिबाद की आग जलाने का एक बारुद हें।
हा, मैं रोहित बोल रहा
हूँ।
क्या सारे भेदभाव तोड़ कर, जाति-व्यवस्था को गाड़कर,
अन्याय के खिलाफ लड़कर,
शोषित और वंचितो को इक्कट्ठा कर पाओगे?
समता-स्वतंत्रता –बन्धुता और न्याय पर आधारित
भारत
का निर्माण करने के लिए,
समाज के सठिक नेतृत्व का निर्माण कर पाओगे?
जिस दिन आप ये कर पाओगे,
उस दिन हजारो रोहित निंद से जागेंगे।
लाखो रोहित आन्दोलन में उतरेंगे।
करोड़ो रोहित आझादी का गीत गायेंगे।
तब खुल जायेगा मुश्किल का दरवाज़ा
अंधेरे को चीरकर आयेगा परिवर्तन का सबेरा ।
यही उम्मीद आप को कर रहा हूँ
हा, मैं रोहित बोल रहा
हूँ।
हा, मैं रोहित बोल रहा
हूँ।
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